Top 5 Poems of Sohan Lal Dwivedi | सोहनलाल द्विवेदी की कविताएँ

Top 5 Poems of Sohan Lal Dwivedi: Poet and writer Sohanlal Dwivedi, who provided poems like Bhairavi, Chetna, Prabhati etc. to the Hindi literary world, was born on 22 February 1906 in a town named Bindki in Fatehpur district, Fatehpur district is located in Uttar Pradesh.

Sohanlal Dwivedi was inspired by Gandhian ideology and composed his songs on various subjects like the condition of farmers, progress of village industries, promotion of Khadi and many other topics. Through his poems, he has given the message of patriotism to the youth of the country.

His poems instilled unprecedented enthusiasm towards the country among the youth. Your first poetry collection ‘Bhairavi’ was published in 1941 AD. Your children’s poems are also going to spread new enthusiasm and awareness which awakens and inspires the child’s mind.

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Top 5 Poems of Sohan Lal Dwivedi | सोहनलाल द्विवेदी की कविताएँ

सोहनलाल द्विवेदी की कविताएँ

1: अगर कहीं मैं पैसा होता (sohanlal dwivedi poems in hindi)

पढ़े-लिखों से रखता नाता
मैं मूर्खों के पास न जाता,

दुनिया के सब संकट खोता
अगर कहीं मैं पैसा होता ?

जो करते दिन रात परिश्रम
उनके पास नहीं होता कम,

बहता रहता सुख का सोता
अगर कहीं मैं पैसा होता?

रहता दुष्ट जनों से न्यारा
मैं बनता सुजनों का प्यारा,

सारा पाप जगत से धोता
अगर कहीं मैं पैसा होता?

व्यर्थ विदेश नहीं मैं जाता
नित स्वदेश ही में मँडराता,

भारत आज न ऐसे रोता
अगर कहीं मैं पैसा होता?

2: जी होता चिड़िया बन जाऊँ (Hindi Poetry Sohan Lal Dwivedi)

जी होता, चिड़िया बन जाऊँ
मैं नभ में उड़कर सुख पाऊँ

मैं फुदक-फुदककर डाली पर
डोलूँ तरु की हरियाली पर
फिर कुतर-कुतरकर फल खाऊँ
जी होता चिड़िया बन जाऊँ

कितना अच्छा इनका जीवन
आज़ाद सदा इनका तन-मन
मैं भी इन-सा गाना गाऊँ
जी होता, चिड़िया बन जाऊँ

जंगल-जंगल में उड़ विचरूँ
पर्वत घाटी की सैर करूँ
सब जग को देखूँ इठलाऊँ
जी होता चिड़िया बन जाऊँ

कितना स्वतंत्र इनका जीवन
इनको न कहीं कोई बंधन
मैं भी इनका जीवन पाऊँ
जी होता चिड़िया बन जाऊँ!

3: ओस (सोहनलाल द्विवेदी की कविताएँ)

हरी घास पर बिखेर दी हैं
ये किसने मोती की लड़ियाँ
कौन रात में गूँथ गया है
ये उज्‍ज्‍वल हीरों की करियाँ

जुगनू से जगमग जगमग ये
कौन चमकते हैं यों चमचम
नभ के नन्‍हें तारों से ये
कौन दमकते हैं यों दमदम

लुटा गया है कौन जौहरी
अपने घर का भरा खजा़ना
पत्‍तों पर, फूलों पर, पगपग
बिखरे हुए रतन हैं नाना

बड़े सवेरे मना रहा है
कौन खुशी में यह दीवाली
वन उपवन में जला दी है
किसने दीपावली निराली

जी होता, इन ओस कणों को
अंजली में भर घर ले आऊँ
इनकी शोभा निरख निरख कर
इन पर कविता एक बनाऊँ।

4: मीठे बोल (Sohanlal Dwivedi poems)

मीठा होता खस्ता खाजा
मीठा होता हलुआ ताजा,
मीठे होते गट्टे गोल
सबसे मीठे, मीठे बोल।

मीठे होते आम निराले
मीठे होते जामुन काले,
मीठे होते गन्ने गोल
सबसे मीठे, मीठे बोल।

मीठा होता दाख छुहारा
मीठा होता शक्कर पारा,
मीठा होता रस का घोल
सबसे मीठे, मीठे बोल।

मीठी होती पुआ सुहारी
मीठी होती कुल्फी न्यारी,
मीठे रसगुल्ले अनमोल
सबसे मीठे, मीठे बोल।

5: प्रकृति-संदेश (Popular Hindi Poems of Sohanlal Dwivedi)

पर्वत कहता शीश उठाकर
तुम भी ऊँचे बन जाओ
सागर कहता है लहराकर
मन में गहराई लाओ।

समझ रहे हो क्या कहती है
उठ-उठ गिर गिर तरल तरंग
भर लो, भर लो अपने मन में
मीठी-मीठी मृदुल उमंग।

पृथ्वी कहती- धैर्य न छोड़ो
कितना ही हो सिर पर भार
नभ कहता है फैलो इतना
ढक लो तुम सारा संसार

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